आज के समय में शिक्षा का काफी महत्व है ये तो हम सभी जानते हैं। हर माता-पिता का सपना होता है कि उनके बच्चे अच्छी शिक्षा प्राप्त करें इसलिए वह अपने बच्चों को स्कूलों, कॉलेजों और इंस्टीट्यूड में भेजते हैं। जिसका पूरा श्रेय शिक्षक को दिया जाता है।अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शिक्षा दिवस 5 अक्टूबर को मनाया जाता हैं जबकि भारत में 5 सितम्बर का दिन पुरे देश में शिक्षक दिवस के रूप मनाया जाता है।सभी के जीवन में शिक्षकों की महान भूमिका होती है क्योंकि शिक्षक छात्रों के लिए ज्ञान का एकमात्र स्रोत होते हैं। शिक्षक दिवस सभी शिक्षको को समर्पित करने के लिए एक पर्व के रूप में मनाया जाता है, जो हर साल 5 सितम्बर को शिक्षको को सम्मान देने के उद्देश्य से मनाया जाता है। एक शिक्षक हमारा दोस्त और मार्गदर्शक होता है।
गुरुर्ब्रह्मा ग्रुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः ।
गुरुः साक्षात् परं ब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः ॥
भावार्थ :
गुरु ब्रह्मा है, गुरु विष्णु है, गुरु हि शंकर है;
गुरु हि साक्षात् परब्रह्म है;
उन सद्गुरु को प्रणाम ।
शिक्षक दिवस क्यों मनाया जाता है
शिक्षकों को सम्मान देने और भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस को याद करने के लिये हर साल इसे मनाया जाता है।डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक महान शिक्षक थे, जिन्होंने अपने जीवन के 40 वर्ष अध्यापन पेशे को दिए है। वे विद्यार्थियों के जीवन में शिक्षकों के योगदान और भूमिका के लिये प्रसिद्ध थे। इसलिये वे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने शिक्षकों के बारे में सोचा। डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को हुआ था और 1909 में चेन्नई के प्रेसिडेंसी कॉलेज में अध्यापन पेशे में प्रवेश करने के साथ ही दर्शनशास्त्र शिक्षक के रुप में अपने करियर की शुरुआत की।उन्होंने देश में बनारस, चेन्नई, कोलकाता, मैसूर जैसे कई प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों तथा विदेशों में लंदन के ऑक्सफोर्ड जैसे विश्वविद्यालयों में दर्शनशास्त्र पढ़ाया है।1962 से शिक्षक दिवस के रुप में 5 सितंबर को मनाने की शुरुआत हुई। अपने महान कार्यों से देश की लंबे समय तक सेवा करने के बाद 17 अप्रैल 1975 को उनका निधन हो गया।
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